मीडिया अध्ययन विभाग में डेटा माइनिंग पर विशेष सत्र
महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय में शोध कार्यशाला के नौवें दिन डेटा माइनिंग की उपयोगिता पर व्याख्यान, शोधार्थियों को साइटेशन और एंड नोट पर मिली जानकारी
मोतिहारी | नव बिहार 24 – महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के मीडिया अध्ययन विभाग में चल रही दस दिवसीय शोध प्रविधि कार्यशाला के नौवें दिन डेटा माइनिंग की उपयोगिता पर केंद्रित सत्र का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR), नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित है।
डेटा माइनिंग: शोध के लिए उपयोगी तकनीक
पहले और दूसरे तकनीकी सत्र में भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर के डॉ. उज्जवल आलोक ने सामाजिक शोध में डेटा माइनिंग की भूमिका पर विस्तृत व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि संग्रहित डेटा को विभिन्न स्तरों पर प्रोसेस कर आवश्यक जानकारी प्राप्त करना ही डेटा माइनिंग कहलाता है। उन्होंने शोधार्थियों को छः डिग्री पृथक्करण सिद्धांत के बारे में भी जानकारी दी।
डॉ. आलोक ने बताया कि वर्तमान में कई सॉफ्टवेयर उपलब्ध हैं, जिनकी मदद से शोध के लिए प्रामाणिक डेटा आसानी से संग्रहित किया जा सकता है। डिजिटल उपकरणों के उपयोग पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि शोध में आधुनिक तकनीकों को अपनाने से निष्कर्ष अधिक विश्वसनीय बनते हैं।
शोध लेखन में साइटेशन और एंड नोट का महत्व
तीसरे तकनीकी सत्र में महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता प्रो. सुनील महावर ने शोध लेखन में प्रयोग होने वाले विभिन्न उपकरणों पर चर्चा की। उन्होंने शोधार्थियों को सही साइटेशन और एंड नोट का प्रयोग समझाया, जिससे शोधकार्य प्रामाणिक और संदर्भित बने।
इससे पूर्व, विभागाध्यक्ष एवं कार्यशाला निदेशक डॉ. अंजनी कुमार झा ने सभी वक्ताओं और अतिथियों का स्वागत किया। सहायक आचार्य डॉ. सुनील दीपक घोड़के ने कार्यशाला का संचालन किया। इस अवसर पर डॉ. परमात्मा कुमार मिश्र, डॉ. साकेत रमण, डॉ. उमा यादव, डॉ. मयंक भारद्वाज, डॉ. आयुष आनंद सहित अन्य शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित रहे।
मोतिहारी से अरविन्द कुमार की रिपोर्ट
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