महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ‘ICFC-2025’ का आयोजन।
मोतिहारी:- महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, बिहार ने विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए 19-20 मार्च 2025 को दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन – ‘ICFC-2025’ का आयोजन किया। इस सम्मेलन का शुभारंभ CSIR-CIMAP, लखनऊ के प्रो. अरविंद सिंह नेगी द्वारा किया गया, जिन्होंने उद्घाटन सत्र में अपने विचार रखे। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव ने इस महत्वपूर्ण आयोजन के लिए अपनी शुभकामनाएँ दीं।
इस अवसर पर मंच पर भाषा एवं तकनीकी संकाय के अधिष्ठाता प्रो. प्रसून दत्त सिंह, चाणक्य परिसर के परिसर निदेशक प्रो. आर्तत्रणपाल, सम्मेलन संयोजक प्रो. देवदत्त चतुर्वेदी और सह-संयोजक प्रो. रफीक उल इस्लाम सहित कई प्रतिष्ठित शिक्षाविद् उपस्थित रहे।
सम्मेलन का उद्देश्य
इस सम्मेलन का उद्देश्य रसायन विज्ञान एवं इससे संबंधित क्षेत्रों में वैज्ञानिक संवाद को बढ़ावा देना और नवीन अनुसंधान पर विचारों का आदान-प्रदान करना था। इसमें भारत एवं विदेशों के प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों ने भाग लिया।
प्रमुख वक्ता एवं प्रतिभागी
सम्मेलन में फ्रेडरिक अलेक्जेंडर यूनिवर्सिटी, जर्मनी की प्रो. स्वेतलाना बी. सोगोएवा, सिटी कॉलेज ऑफ न्यूयॉर्क, अमेरिका के प्रो. महेश के. लक्ष्मण, यूनिवर्सिटी ऑफ जोहान्सबर्ग, साउथ अफ्रीका के प्रो. कौशिक मलिक, फिजी के प्रो. सुरेंद्र प्रसाद, CSIR-CDRI लखनऊ के प्रो. नरेंद्र तदीगोपपुला, IIT पटना के प्रो. एम. लोकमान एच. चौधरी सहित अनेक ख्याति प्राप्त वैज्ञानिकों ने अपने विचार साझा किए।
इस दो दिवसीय सम्मेलन में 200 से अधिक शोधार्थियों एवं प्रतिभागियों ने भाग लिया। विभिन्न विश्वविद्यालयों से आए शोधार्थियों ने मिश्रित प्रणाली (Blended Mode) में मौखिक और पोस्टर प्रस्तुति दी।
सम्मेलन का समापन
सम्मेलन के समापन समारोह में सर्वश्रेष्ठ मौखिक एवं पोस्टर प्रस्तुतियों को सम्मानित किया गया। समापन सत्र को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव ने कार्यक्रम की सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त की और इसे वैज्ञानिकों व शोधार्थियों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बताया।
इस आयोजन में रसायन विज्ञान विभाग के प्रो. देवदत्त चतुर्वेदी, प्रो. रफीक उल इस्लाम, डॉ. राकेश कुमार पांडेय, डॉ. रजनीश नाथ तिवारी, डॉ. अभिजीत कुमार, डॉ. उत्तम कुमार दास, डॉ. अनिल कुमार सिंह सहित कई विद्वानों एवं शोधार्थियों ने प्रमुख भूमिका निभाई।
यह सम्मेलन वैज्ञानिक समुदाय के बीच नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास साबित हुआ।
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